The Shodashi Diaries
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The day is observed with wonderful reverence, as followers take a look at temples, present prayers, and get involved in communal worship occasions like darshans and jagratas.
षट्कोणान्तःस्थितां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥६॥
Goddess is popularly depicted as sitting down over the petals of lotus that may be stored around the horizontal overall body of Lord Shiva.
यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari ashtottarshatnam
देवीं मन्त्रमयीं नौमि मातृकापीठरूपिणीम् ॥१॥
सा मे मोहान्धकारं बहुभवजनितं नाशयत्वादिमाता ॥९॥
षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी का जो स्वरूप है, वह अत्यन्त ही गूढ़मय है। जिस महामुद्रा में भगवान शिव की नाभि से निकले कमल दल पर विराजमान हैं, वे मुद्राएं उनकी कलाओं को प्रदर्शित करती हैं और जिससे उनके कार्यों की और उनकी अपने भक्तों के get more info प्रति जो भावना है, उसका सूक्ष्म विवेचन स्पष्ट होता है।
लक्षं जस्वापि यस्या मनुवरमणिमासिद्धिमन्तो महान्तः
हार्दं शोकातिरेकं शमयतु ललिताघीश्वरी पाशहस्ता ॥५॥
देवस्नपनं उत्तरवेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥५॥
The world, to be a manifestation of Shiva's consciousness, retains the key to liberation when one realizes this basic unity.
कर्तुं देवि ! जगद्-विलास-विधिना सृष्टेन ते मायया
श्रीमत्सिंहासनेशी प्रदिशतु विपुलां कीर्तिमानन्दरूपा ॥१६॥